चार तरह की मानसिक तरंगे होती हैं, इन्हीं में दुख और सुख की अनुभूति छिपी है।
१ अल्फा- जब मस्तिष्क शांत, निष्क्रीय, तटस्थ और तनाव रहित होता है, यह प्रति सैकेंड ८ से १३ की आवृति (फ्रीक्वेंसी) करती है। ध्यान में स्थित योगियों में अल्फा तरंगे सक्रिय होती है। साधारण आदमी में भी जब यह उठती हैं तो आनन्द का अनुभव कराती है। अर्थात कुछ चीजों के दृश्य या श्राव्य प्रभाव से यह उत्पन्न होती हैं तो मानव आनन्द की अनुभूति करता है।
२. बीटा - इन तरंगों की आवृति प्रति सैकेंड १४ या उससे कुछ ज्यादा होती है। जब आदमी एकाग्रचित होकर किसी काम को करता है जैसे हिसाब-किताब या कोई गुत्थी सुलझाना। तभी यह सामान्य मस्तिष्क में सक्रिय होती हैं।
३ थीटा- प्रति सैकेंड ४ से ६ आवृत्ति, अर्द्ध निद्रा की अवस्था में यही तरंगे सक्रिय होती हैं।
४ डेल्टा- प्रति सैकेंड १ से ६ आवृत्ति होती है। ये निद्रा की अवस्था में ही सक्रिय होती हैं, जाग्रत अवस्था में नहीं होतीं।
मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों में अल्फा और बीटा तरंगे एक साथ भी उठती रहती हैं। अंतमुर्खी व्यक्तियों में अल्फा तरंगे ज्यादा उठती हैं। अल्फा तरंगे आंतरिक कुम्भक और त्राटक के द्वारा भी मस्तिष्क में उत्पन्न की जा सकती हैं। त्राटक एक जगह ध्यान केंद्रित करने की क्रिया है। इस तरह मन को स्वस्थ्य रखने के लिए कुम्भक और त्राटक बड़ी ही उपयोगी क्रियाएं हैं।
(ओम राघव के संकलन से)
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दादाजी का संग्रह बड़ा रोचक लगा.
ReplyDeleteसही मे बहुत ही विशाल और रोचक है दादा जी का संग्रह .......
ReplyDeleterochak jankari ke liye dhanyvad
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