दादा जी महान विभूतियों के विचारों और जीवन उपयोगी बातों का जो संकलन तैयार किया है उसमें से कुछ अपनी रुचि के अनुसार में यहां प्रस्तुत कर रहा हूं -
बातचीत के शिष्टाचार नियम
१. दूसरे की बातचीत भी ध्यानपूर्वक सुनें।
२. अपनी बारी आने पर ही बोलें।
३. सभी को बोलने का समान अवसर दें।
४. अपनी बात को जबरन मनवाने का प्रयास न करें।
५. आवश्कयक हो तो चुप रहें।
योग के ८ आंग जो शास्त्रों में कहे गए हैं वे इस तरह हैं -
१. यम- अहिस, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
२. नियम - शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रावधान
३. आसन - सुख पूर्वक, बैठना आसन कहलाता है। आसन ८४ होते हैं।
४. प्राणायम - जीव द्वारा प्राण वायु का लेना और छोड़ना
५. प्रत्याहार-उपवास, अल्पाहार और मितहारी होना।
६. धारणा -चित्त का किसी केन्द्र पर केन्द्रित कर देना। योगी २१ मिनट ३६ सैकेंड बिना श्वास के रह सके तब अनायास धारणा की सिद्ध हो जाती है। धारणा की सिद्धी से ध्यान के अभ्यास के योग्य योगी हो जाता है।
७. ध्यान- ग्यान एक सा बना रहना। जब मन निर्विषय हो तो वह ध्यान की अवस्था है। यह ४३ मिनट १२ सैकेंड की होती है।
८. समाधि- ध्यानावस्था में ध्याता, ध्यान, और ध्येय। इन तीनों का ग्यान बना रहता है परन्तु जब ध्याता भूल जाता है कि वह ध्याता है, ध्यानरूप क्रिया भी भूलकर केवल ध्येय ही उसके लक्ष्य में रह जाता है तब इस अवस्था का नाम समाधि कहा जाता है। समय सिद्धि १ घंटा २६ मिनट और २४ सैकेंड समाधि की सिद्धि।
मोक्ष के साधन - यौन, ब्रह्मचर्य, शास्त्रश्रवण, तपस्या, स्वध्याय, स्वधर्म पालन, युक्तियों से शास्त्रों की व्याख्या, एकान्त सेवन जय और समाधि।
( ओम राघव के संकलन से)
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महान विभूतियों के विचारों और जीवन उपयोगी बातों को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद !!
ReplyDeletebahut hi sunder vichar
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