Monday, January 25, 2010

सोच

ओम राघव
बुराई के स्रोत जीवन में,
काहिली और अंधविश्वास भी है
सक्रियता और बुद्धि बन सकते भलाई का आधार भी
नहीं बरती सावधानी-सम्पादन करने में छोटा कार्य भी
अपेक्षा नहीं करनी-होगा महान कार्य उनसे।

छोटा हो दायरा बुराई का- पर भला
उस कथित अच्छाई के दायरे से जो
अहितकर हो अधिसंख्य मानव जाति के।

साधरणतया हम मानते
लज्जित होते अपना पेशा बताते
खूनी चोर जासूस वैश्या
पर तथ्य इसके विपरीत है
रहते जिस माहौल में आनन्दरस उसी में मानते

हम दूर उस माहौल से सोचते
आती लज्जा उन्हें पेशा बताते ऐसा जानते
पर तथ्य क्या यह भी नहीं?

हजारों-लाखों का संहार करते सेनानायक
आयुधों की मार से
करोड़ों लोगों को गुमराह करते
अपने कर्ण-मधुर भाषणों से नेता जननायक बने

नहीं हमें विपरीत लगता
अधिक संहारक-अहितकर
सम्पूर्ण मानव जाति के लिए
खूनी चोर जासूस वैश्या के अशुभ कर्म से
वे कुछ का ही अहित करते
पर हमें बहुत अशुभ लज्जाजनक लगता।

कारण इनका क्षेत्र छोटा
उनकी परिधि विशाल
चक्कर जिसमें हम लगा रहे हैं।

२१-१२-०९

Saturday, January 23, 2010

साक्षात्कार

ओम राघव
चेतन सत्ता नियामकरूप से कार्य करती
जज्बात के मूल में मैल आक्षेप, आवरण
हैं दोष मन के व्यवधान बनते ब्रह्म के साक्षात्कार में
जन्म-जन्मांतरों में किए कर्म
शुभ या अशुभ- बनती मन की वासना
चित्त की चंचलता, आक्षेप मन का
आवरण संस्कार माया का बना
निष्काम भाव से सद्आचरण
साफ कर सके मन के मैल को
चित्त की चंचलता हरे, प्रभु का निरंतर संस्मरण
आदत जिसकी पड़ सके,
प्रभु के प्रति अनुराग ही, समीप ब्रह्म के ला सकेगा
श्रवण स्वाध्याय, पठन से
रूप गुण का ज्ञान अवश्य हो सकेगा
व्यवधान सारे दूर होंगे
आनन्द परमानंद मिलता पाकर परमात्मा को
अवस्थित सदा अंतर हृदय के साथ ही
स्वयं वह भी निरंतर याद करता
करना सक्षात्कार जिसका।।

३१-१२-०९

Friday, January 1, 2010

सभी पाठकों को

नव वर्ष की

हार्दिक शुभकामनायें

ओम राघव :----