-ओम राघव
करो कुछ ऐसा काज कि दुनिया जाने.
ऐसे छोड़ो निशान, जिसे दुनिया माने।
होकर पैदा जाने कितने ऐसे चले गए.
न पाया कोई जान, लोक उस चले गए।
ग्रह-पिंड ब्रह्माण्ड जीवों से भरा पड़ा है,
यह पृथ्वी-आकाश सारा अटा पड़ा है।
और अधिक विस्तार न पाए पार दृष्टि का
संचार व्यवस्था का जोर, जानने इस सृष्टि का।
विग्यान-ग्यान से अनेक ग्रहों का ग्यान हुआ,
नवग्रहों से अधिक ग्रह हैं, यह भान हुआ।
और भी जानेगा विग्यान, पर सृष्टि को जान न पाया,
आवश्यक है यह अगर काम हित मानव आए।
विश्व समाज हेतु लौकिक ग्यान-विग्यान चाहिए,
सबको सुविधा मिले अधिकतम वह ग्यान चाहिए।
पर यह अर्जित ग्यान, मानवता को लील रहा है,
होते लाखों बलिदान आयुध से सब लील रहा है।
होता है, आभास मानव पर हित नहीं सोच रहा है,
नितनव कर आविष्कार, सृष्टि को नोच रहा है।
करे न सब हितकाम, नहीं वैसा विग्यान चाहिए,
मानव-हित हो लक्ष्य, बने वरदान वह विग्यान चाहिए।
तन-मन-धन लगा की हैं विग्यान ने खोजें,
वे धन्यवाद के पात्र, उन्हें हम कैसे भूलें?
ऐसी दे समाज को दृष्टि, युगों तक काम आ सके,
हो ऐसा आदर्श, करे सदा अनुकरण जमाना,
मर्यादा-मान सद्चरित्रता का बने खजाना,
आप्त पूर्वज की संतान, धरोहर में मिली अनूठी धाती,
कर जिनके कार्य-आचरण याद, फूलती अपनी छाती।
राम-कृष्ण नानक कबीर, याद सदैव किए जाते हैं,
बुद्ध ईशा दयानन्द ऐसी धाति बन जाते हैं।
उनके जीवन के आदर्श युगों तक याद बन गए,
संस्कृति में रच-पच, आदर्श ख्याल बन गए।
अनेक सपूत ऐसे, जिन निज जीवन से राह दिखाई.
बने प्रेरणा स्रोत, सार्थक जीवन की याद दिलाई।
सत्य-अहिंसा शुभ कर्म, दूर पाखंड भगाने वाले,
दिए दिव्य आदर्श जन-मानस को लुभाने वाले।
केवल करने से याद, काम नहीं अपने आए,
धरे उन्हें आचरण में तभी उचित फल दिखलाए।
स्वस्थ आचरण की ख्याति स्वतः ही चल पड़ती है,
शुभकर्म और अच्छी बातें, नहीं कभी छिपकर चलती हैं।
किया न सद्पयोग, व्यर्थ मानव का जीना,
मानव से तो अधिक वृक्ष पशु देते चिन्हा।
ऐसे नहीं छोड़ते याद, जिसे करे नित याद जमाना,
क्या अंतर फिर रहा, पशु वृक्ष पत्थर का होना।
दोहा
कर कुछ ऐसा जगत में, करे जमाना याद,
नित जिसकी चर्चा रहे, तेरे जाने के बाद।।
(23 मार्च 2001)
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बहुत ही सुन्दर रचना आभार !
ReplyDeleteअति सुन्दर और प्रेरणादायक
ReplyDeleteप्रेरणाप्रद सा्र्थक सुन्दर रचना के लिये आभार
ReplyDeleteकर कुछ ऐसा जगत में, करे जमाना याद,
नित जिसकी चर्चा रहे, तेरे जाने के बाद।।
लाजवाब चिन्तन मननशील दोहा बधाई
ek saarthak our prenadayak our sarthak rachana.....bahut hi sundar.......khubsoorat
ReplyDeleteitani lambi kavita aapke man ke andar chal rahe manthan aur chintao ko vyakt karati hai
ReplyDeleteकर कुछ ऐसा जगत में, करे जमाना याद,
ReplyDeleteनित जिसकी चर्चा रहे, तेरे जाने के बाद
Khoobsoorat chintan hai aapka..... Saarthak likha hai