Sunday, July 26, 2009

पोते का फोन

-ओम राघव
सुन पोते का फोन, मन दादी का भर गया
घर के सारे लोगों में अनन्द कर गया।
वाणी तोतली दादी में नवप्राण भर गई
माहोल सारे घर का शीतल यान कर गई।
याद पोते की दादी को खूब सताती है,
जब आता नहीं फोन, तब उसे रुलाती है।
मां-बेटे करना फोन, दादी रोज बताती है
गर सुन ना पाये फोन, दादी की फटती छाती है।
रहता पोता दूर, वह पास न आता है,
कहता-लो मैं आ गया, फोन से उसे बताता है।
दादी का पूछे हाल, अपना हाल बताता है
छोटी अपनी बहना का भी राग सुनाता है।
दादी तरस रही है, पोता जल्दी आएगा
सुन्दर चांद सा मुखड़ा आकर उसे दिखाएगा।
रूठेंगा, झगड़ेगा, मां को गलत बताएगा
सौ-सौ हैं पापा की गलती, उसे सुनाएगा।
दादी डॉंटेंगी उनको, पोते को लाड़ लाड़ाएंगी,
दादी की ये प्रीत लाल को खुश कर जाएगी।
(17 सितंबर 2004)

5 comments:

  1. aap jaise pote ko paakar dadaji dhanya huye .rishton ki dor hamare hi haatho pe nirbhar hoti hai .is nek iraade se dada ko khushi nahi balki aapko unki dua bhi lagegi .
    rachana sach ke saath sundar bhav bhi darsha rahi hai .uttam .

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  2. याद पोते की दादी को खूब सताती है,
    जब आता नहीं फोन, तब उसे रुलाती है।

    तभी तो पोता उन्हें इतना प्यार करता है ....!!

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  3. shukriya taarif ke liye .pahale main samajhi aap ek baar is rachana ko sarah chuke phir dobaara ...tab yahan aakar samajhi .ek baar phir ....

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