Friday, July 17, 2009

द्वैत या अद्वैत

-ओम राघव
अद्वैतवाद
न था पहले कभी और न पीछे रहता है
दृष्य प्रकृति पदार्थ स्वप्नवत मिथ्या होता है
भ्रम वर्तमान सत्ता है मिथ्या केवल भासती
जीव सत्ता ब्रह्म है जन्म होकर दीखती
जीव संग्या जन्म से पर होती ब्रह्म है
जन्म मरण से परे सत्य ही ब्रह्म है
अदर्शन आत्मा पुनः अदृश्य हो जाएगी
जीव जन्म ले बार बार ब्रह्म में सो जाएगी
चिंतन में आती नहीं, इन्द्रिया-नीत आत्मा
करता रहा जीव ही अजन्मे ब्रह्म की उपासना
महाकाश घटाकाश जैसे कल्पित भेद हैं
आकाश है सर्वत्र व्यापक शेष कल्पित भेद है
कर्म धर्म का अभाव बन जाता परमार्थ है
हंसना-मरण जीवन मृत्यु इनका न कोई अर्थ है
चिन्गारी प्रगटे अग्नि से, अग्नि का ही अंश है
ब्रह्म से नहीं प्रथक जीव, वह ब्रह्म का ही अंश है
दुखी जीव देह के संयोग से, असंयोग जीव ब्रह्म है
काम-क्रोध, राग-शोक, देह-मन के धर्म हैं
प्रकृति-जगत है भ्रम सदा-वस्तविक सत्ता नहीं
संकल्पित है ब्रह्म से, क्षीण प्रलयावस्था कहीं
आत्मा ही सनातन कण-कण में ओतप्रोत है
अपार अप्रमेय, उसका प्रकाश ही स्रोत है
द्वैतवाद
ब्रह्म प्रकृति जीव सत्ता आदि से है मानते
बिना जिनके सृष्टि का आकार कैसे जानते
द्रव्य के प्रकार से एक जड़ दूसरा है अजड़
प्रकृति है सारी जड़, आत्म-ईश्वर अजड़
प्रकृति व जीव दोनों, ईश्वाराधीन हैं
पर हैं दोनों भिन्न सत्ता, होती न ब्रह्मलीन है
जीव अणु अधिसंख्य में होता प्रकट
ब्रह्म उपासना से मुक्त हो, होता है फिर अप्रकट
जीव रहे निम्न ही, जब तक न करे स्वः को प्रकट
ब्रह्म दोषों से रहित, जीव दोषों का भरा घट
मत-मतान्तर देख, प्रश्न बुद्धि से करता रहा है
पाया न हल आदिकाल से, वह उलझता ही रहा है
मन-वाणी से जो अगोचर, पाओ तुम कैसे उसे
है अखंड परम सत्ता, सत्य कहते हैं जिसे
विचार व कर्म अच्छे, गर परोपकार सीखले
सदा दूर हिन्सा से रहें, सबसे प्यार करना सीख ले
नैतिक जीवन मार्ग ही, सच्ची बने उपासना
निकट है परम धाम-मोक्ष, रहे न शेष कल्पना।
(२७ सितंबर २००३)

1 comment:

  1. ब्रह्म प्रकृति जीव सत्ता आदि से है मानते
    बिना जिनके सृष्टि का आकार कैसे जानते
    द्रव्य के प्रकार से एक जड़ दूसरा है अजड़
    प्रकृति है सारी जड़, आत्म-ईश्वर अजड़

    ज्ञान वर्धक कविता.......!!!!

    नितिन जी , बहुत .....ख़ुशी हुई यह जान कर कि आप दादा जी का इतना सम्मान करते हैं ....धीरे धीरे उन्हें भी कम्प्यूटर का ज्ञान दीजिये वे खुद ही लिखें तो हमें भी अच्छा लगेगा ...!!

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