-ओम राघव
सब गुण से भरपूर धरा, गर कर देंगे देवाधि देव,
तब देव न मैं बनना चाहूं, आमरण की न रहे चाह देव।
मिलता मोक्ष धरा से ही, यह सत्य सनातन कहलाया,
ऋषियों ने यही तत्व खोजा, गाया भी और फिर पाया।
देख धरा की ऐसी गरिमा, स्वर्ग देव भी आएंगे,
मुक्ति का द्वार धरा खोले, यह तथ्य समझना चाहेंगे।
आनन्द स्वर्ग का भोग चुके, थे चकित भोग विलासों से,
पाप प्लावन धरती धरती-दरिया से, ये सुखी स्वर्ग की सांसो से।
अब समझेंगे स्वर्गिक आनन्द भी, सोने की बेड़ी होता है,
बेड़ी लोहे की हो, सोने की हो, बेड़ी तो बेड़ी होती है।।
दोहा
आकर कितने चले गए, अमीर दानी रंक,
दृश्यमान रहना नहीं, सभी काल के संग।
(24 फरवरी 2001)
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बहुत जी सजग विचार हैं
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चाँद, बादल और शाम
bahut hi sahi kaha aapane ....bedi bedi hi hoti hai
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