Tuesday, September 8, 2009

दादा जी का संकलन-भाग ५

सफलता का मंत्र

ओम राघव
जीवन में सफलता हर कोई चाहता है, मगर यह उन्हीं को मिलती है, जो खुद को एक अनुशासन में ढाल लेते हैं। अनुशासन व्यक्ति को विश्वसनीय बनाता है। अगर समाज आप पर विश्वास करने लगता है तो आपको अधिक अवसर देता है। इस तरह आपकी सफलता की दर बढ़ जाती है। इसके अलावा आठ अन्य ऐसे कारक हैं, जो जीवन में व्यक्ति की सफलता तय करते हैं-
१. निर्णय शक्ति - यदि आप सच-झूठ, कर्तव्य- अकर्त्तव्य, मर्यादा-अमर्यादा में स्पष्ट भेद आसानी से कर लेते हैं तो यकीन मानें की आपके निर्णय आपको सफलता दिलाने वाले होंगे।
२. साहस- निर्णय लेने के लिए साहस की भी जरूरत होती है। कई बार आपको सबके भले के लिए प्रचल्लित सोच से अलग हटकर निर्णय लेना होता है। छोटी-छोटी समस्याओं से घबराने वाले सही निर्णय नहीं ले पाते। इसलिए साहस आपकी सफलता की दर को गति देता है।
३. सहन शक्ति - किसी भी निर्णय को कोई आसानी से नहीं स्वीकारता। आपको कटु आलोचना का सामना भी करना पड़ सकता है। अगर आपको लगता है कि आपका निर्णय ही सबके भले में है तो सिर्फ आलोचना से डर कर निर्णय नहीं बदलना चाहिए। आप में इसके लिए निंदा सहने की शक्ति होनी चाहिए। मान-अपमान के क्षणिक बोध से ऊपर उठकर ही ऐसा संभव है।
४. व्यापक दृष्टिकोण - आपका दृष्टिकोण सागर की तरह व्यापक होना चाहिए। दूसरों की बातों को खुद में समालेने की शक्ति होनी चाहिए। इतनी गंभीरता आपको सफलता की ओर ले जाएगी।
५. विस्तार - विचारों का निरंतर विस्तार होते रहना चाहिए। इसके लिए आपमें जिग्यासा और बाहरी ग्यान को समेटने की शक्ति होनी चाहिए। ऐसा होने पर आपके व्याख्यान और संदर्भ सटीक होंगे और वे सही निर्णय तक आपको ले जाएंगे।
६. स्नेह और सहयोग- आपका वर्ताव स्नेह और सहयोग वाला होना चाहिए। अगर आप सबको सहयोग देंगे तो आपको भी जरूरत पड़ने पर सहयोग ही मिलेगा।
७. श्रम और कर्म - श्रम और कर्म का बहुत महत्व है। अगर कर्म ही नहीं करोगे तो सफलता कहां से मिलेगी।
८. परखने की शक्ति - लोगों को परखने की शक्ति लगातार व्यवहार से आती है। इसके लिए अधिक मोल-जोल और दोस्त बनाने की आदत डालनी चाहिए।

2 comments: