Tuesday, September 7, 2010

नजरिया

ओम राघव
हर वस्तु घटना को देखने का कैसा नजरिया?
एक भौतिक दूसरा आध्यात्मिक होता है जरिया।
अहम से भरा एक, अहम से शून्य दूसरी प्रक्रिया
मैं भौतिकवादी और वह बनता वेदान्ती नजरिया।
कर्ता सर्वदा एक है, वह परम-आत्मा की क्रिया
जगत की रचना और चलाना, कृतित्व बनता नजरिया।


पाप बड़ा माने स्वयं को कर्ता का नजरिया
सफलता असफलता यश अपयश, कर्ता नहीं ऐसा नजरिया।
अहम हो जाए विलीन, परमात्मा अद्वैत का बनता नजरिया।
शुद्ध अशुद्ध सम्मिश्रण भ्रम ब्रह्मांड का नजरिया
परम शुद्ध पुरुष एक से अनेकता का खेल दिखाता नजरिया,
शऱीर और मन का स्तर छो़ड़, बन आत्मस्तर का नजरिया।
(२५-०८-२०१०)

4 comments:

  1. बहुत अच्छा .
    पोला की बधाई भी स्वीकार करें .

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  2. बेहतरीन!

    कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

    नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

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  3. सत्य...सर्वथा सत्य...

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