ओम राघव
जीवन एक पुस्तक बना
पढ़ना है जिसे जिन्दगी भर
भावनाएं विचार बनतीं
कर्म का आधार बनकर
न हो आहत कोई
अपनी जुबान या हथियार से
विचार न करें अहित
पैदा करें आत्मीयता प्यार से
अच्छाई की महक
स्वतः फैल जाती चारों दिशा में
खुशबू फूल की महकती
केवल वायु की दिशा में
हर क्षण अपनी जिन्दगी का
एक तस्वीर है
हर कर्म लिख रहा
हर कर्ता की तकदीर है
देखा न पहले, सो देखना
फिर न दिखा पाये अपने लिए
हर क्षण मोहक सुन्दर बने
सुघड़ जीवन के लिए
फूल की महक
वायु के रुख के साथ चल पाती
शुभ आचरण की महक
जीवन के हर ओर महकती
शक्ति वर्धक अस्त्र हैं
शांत रहा और मुस्काना
समस्याओं का कभी समाधान
बन जाता मुस्कराना
शुभाचरण की महक
सुघड़ जीवन का आधार बन जाती
आधार जीवन का बने शुभ आचरण
आदत ही आधार बन जाती।
(१३-०८-२०१०)
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bahut badiya....
ReplyDeleteA Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
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