ओम राघव
श्रेष्ठ को समादर चाहिए
मन, वचन, कर्म की शुद्धि
उत्पन्न वासनाओं से मुक्त इंद्रिया बनें
अंतर्मन में बिठाने से पूर्व
श्रेष्ठ सत्ता को उपयुक्त स्वच्छता चाहिए
शांत शीतल सात्विकता का
बाहर भीतर चहुं ओर समावेश चाहिए
तब होगी प्रतिष्ठित और प्रकाशित आत्मा
हर साधन की बने सफलता,
मानसिक पवित्रता
सामन्य मनो भूमि के लिए
भ्रांतिया अवांछनीयताएं दूर हों
श्रेष्ट सत्ता की ओर उन्मुख हो सकें
विद्यमान है उसकी सत्ता
जब जड़ चेतन सभी में
सोच ऐसी भी फिर क्यों बने
उपस्थित नहीं देवालय गिरजाघर प्रतिमा में
सामान्य मन मस्तिष्क ध्यान न कर सकें
उपयुक्त स्वच्छता मन वचन क्रम से
श्रेष्ठ सत्ता को आसीन करने के लिए
बने श्रेष्ठतर मनोभूमि समर्थ फिर
स्थापित करने में श्रेष्ठतर सत्ता को
अपने अंतर में।।
(०५-०२-१०)
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उपस्थित नहीं देवालय गिरजाघर प्रतिमा में
ReplyDeleteसामान्य मन मस्तिष्क ध्यान न कर सकें
उपयुक्त स्वच्छता मन वचन क्रम से
श्रेष्ठ सत्ता को आसीन करने के लिए
बने श्रेष्ठतर मनोभूमि समर्थ फिर
स्थापित करने में श्रेष्ठतर सत्ता को
अपने अंतर में।।
bahut hi sunder panktiyan
bhagwan ko pane ka sarvotam
upay.