जीवन का आभास ही सबूत है
समस्या के आस्तित्व का
समस्या से रहित जीवन नहीं होता
समस्या सुलझाने की चाह होती है
प्रस्तुत समाधान करती महत्वाकांक्षा भी
कभी बन जाती अपनी समस्या
दूसरा नहीं होता कारण
समस्या के प्रसूत का
प्रेरणस्रोत मूलरूप से हम उसका
दोष पर दूसरों को देते रहते सदा
शरीर और कर्म का सद्पयोग होना चाहिए
सहनशक्ति स्नेह व सहयोग के साथ
सटीक निर्णय की त्वरित शक्ति चाहिए
नहीं कम गंभीरता भी समाधान जैसा चाहिए
होगा समस्या का अवश्य निदान
अपेक्षित कथित तत्व होने चाहिए।
ओम राघव
15-11-2010
आपकी यह ब्लाँग पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी ,आभार ।
ReplyDeleteसुप्रसिद्ध उपन्यासकार और ब्लाँगर नन्दलाल भारती जी का साक्षात्कार पढने के लिए यहाँ क्लिक करेँ>>
jeevan ki sachchi ko vyakt karti kvita.
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